बताया हूं न कि दो दिनों तक दो पुरानी कहानियां आपको सुनानी हैं। इसकी एक बड़ी वज़ह है। इन कहानियों को लिख कर मैं खुद ही भूल चुका था। पर अब खुद भी याद कर रहा हूं आपको भी याद दिला रहा हूं।
कहानी दुबारा क्यों सुना रहा हूं, इसे फिर कभी बताऊंगा।
***
कई साल पहले एक रात हमारे घर की घंटी बजी।
तब हम पटना में रहते थे।
आधी रात को कौन आया?
पिताजी बाहर निकले। सामने दो लोग खड़े थे। एक पुरूष और एक महिला। हमारे घर के बरामदे में लोहे की ग्रिल लगी थी, जिसमें हम रात में ताला बंद कर देते और पूरा घर सुरक्षित हो जाता।
पिताजी ने ताला खोला। पूछा कि आप लोग कौन हैं, कहां से आए हैं। उन्होंने पिताजी के हाथ में एक चिट्ठी पकड़ाई। पिताजी ने चिट्ठी पढ़ी और खुश हो गए। उन्होंने आवाज़ देकर बुलाया, संजू बेटा बाहर आओ देखो ये लोग फलां जगह से आए हैं। इन्हें तुम्हारी बुआ ने भेजा है।
“बुआ ने भेजा है? वाह!”
अब हमारे लिए ये जानना ज़रूरी नहीं था कि वो कौन हैं, कहां से आए हैं।
उन्हें हमारी बुआ ने भेजा था, यही जान लेना बहुत बड़ी बात थी। सर्दी की वो रात थी, फटाफट उनके सोने के लिए एक बिस्तर का इंतजाम किया गया। हम दोनों भाई दो रजाइयों में लिपटे थे, हमारी एक रजाई ले ली गई और कहा गया कि दोनों भाई एक ही रजाई में घुस जाओ। एक रजाई नए मेहमान को देनी है। हमें याद है, हम पहली बार उनसे मिल रहे थे। पिताजी ने अपनी बड़ी दीदी और उनके पूरे परिवार का हाल पूछा। और ये जान लिया कि वो उनके जानने वाले हैं। मतलब हमारे रिश्तेदार नहीं, बुआ के जानने वाले हैं।
उनके साथ जो महिला थीं, उनकी तबीयत थोड़ी खराब थी और पटना मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में उनका इलाज होना था। क्योंकि वो मेरी बुआ को जानते थे, और बुआ के छोटे भाई का परिवार पटना में था इसलिए ये तो सोचने की बात ही नहीं थी कि वो कहां जाएंगे। वो बिना किसी पूर्व सूचना के हमारे घर पहुंच गए थे। उनकी ट्रेन आनी तो शाम को थी, लेकिन ट्रेन के टाइम से न चलने का बुरा कौन मानता है।
ट्रेन बहुत लेट पहुंची थी और हमारे वो मेहमान बिना खाना-पीना खाए आधी रात में हमारे घर पहुंच गए थे। फटाफट खाना बना। सोने का जुगाड़ हुआ।
और सुबह उन्हें अस्ताल पहुंचाने का भी।
वो कोई हफ्ता भर हमारे घर रहे। हम खूब घुल-मिल गए। हम रोज साथ खाते और मस्ती करते। ऐसा लग रहा था मानों हम सदियों से एक दूसरे को जानते रहे हों। बुआ ने तिल की मिठाई भेजी थी। बुआ सारे संसार का ख्याल रखती थीं। भाई-भतीजे में तो उनकी आत्मा ही बसती थी।
उन्होंने अपने परिचित भेज दिए, हमने उन्हें रिश्तेदार बना लिया।
आप जान कर हैरान रह जाएंगे कि हम दुबारा कभी उस रिश्तेदार से नहीं मिल पाए, जो उस रात हमारे घर आए थे। लेकिन हम सब भाई बहनों के जेहन में उस रिश्ते की याद आज भी ताजा है। हम आज भी उनके आने और अपनी रजाई छिन जाने को याद कर खुश होते हैं।
जब मैं पच्चीस साल पहले भोपाल से दिल्ली नौकरी करने आया था तो मेरे मामा ने एक चिट्ठी अपने एक जज दोस्त के नाम लिख कर मुझे भेज दिया था। दिल्ली के किदवई नगर में वो रहते थे और मैं चिट्ठी लेकर उनके घर पहुंच गया। यकीन कीजिए जितने दिन उनके घर रहा, परिवार के एक सदस्य की तरह रहा। उनकी बेटियां मेरी बहनें बन गईं और उनका बेटा मेरा भैया। मुझे दफ्तर से आने में देर होती, तो वो चिंतित होते।
तब हमारे पास रिश्ते थे। लेकिन अब मैं जब सोचने बैठता हूं तो यही सोचता हूं कि क्या सबके पास रिश्ते हैं? क्या सचमुच रिश्ते हैं?
“अकेले में हम सिर्फ बोल सकते हैं, लेकिन जब हम रिश्तों के बीच होते हैं तो बातें करते हैं। अकेले में हम मजे कर सकते हैं, लेकिन जब हम रिश्तों के बीच होते हैं तो उत्सव मनाते हैं। अकेले में हम मुस्कुरा सकते हैं, लेकिन रिश्तों के बीच हम ठहाके लगाते हैं।”
ध्यान रखिएगा कि ये सब सिर्फ इंसानी रिश्तों में मुमकिन है।
आपके संजय सिन्हा रोज-रोज रिश्तों की कहानियां सिर्फ इसलिए लिखते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि आज आदमी सबके बीच रह कर भी अकेला हो गया है। सारे रिश्ते हैं, लेकिन कोई रिश्ता बचा नहीं है। हम सब अपनी ज़िंदगी जीने की तैयारी में इतने व्यस्त हो गए हैं कि हमारे पास खुद के लिए वक्त नहीं रहा।
अब संजय सिन्हा कहीं जाते हैं तो होटल बुक कराते हैं। पता नहीं सारे रिश्ते कहां चले गए।
आप में से अगर किसी के पास बुआ के उस पड़ोसी का कोई रिश्ता बचा हो, तो यकीनन आप भाग्यशाली हैं।
मेरा क्या है, मैं तो अपने उसी भाग्य की तलाश में हर रोज मुंह उठाए आपके पास पहुंच जाता हूं।
story from #SanjaySinha fb wall
Month: January 2018
आज नहीं तो कल इस दुनिया से चले जाना है – सूफ़ी कथा
दो घोड़े होते हैं जो बरसों से एक दूसरे के साथ एक तांगा चला रहे होते हैं.. शुरुवात में दोनों में बहुत प्यार होता है मगर फिर धीरे धीरे एक घोड़े को दूसरे घोड़े से चिढ़ होने लगती है.. वो दूसरे घोड़े की हर बात में नुक्स निकालने लगता है.. कभी कहता है कि तुम तेज़ दौड़ते हो कभी धीरे, कभी उस से कहता है कि वो उसकी बात नहीं सुनता.. दूसरा घोड़ा इस घोड़े की हर बात मानने की कोशिश करता है मगर इस घोड़े के पास रोज़ कोई न कोई नई शिक़ायत होती है उसको लेकर
एक दिन दूसरा घोड़ा मर जाता है.. अब इस घोड़े को, जो हमेशा उस से शिकायत करता था, उसे बहुत धक्का लगता है.. उसे लगता है जैसे उसका सब कुछ ख़त्म हो गया.. वो बहुत उदास हो जाता है और अपने उलाहने और शिकायतें याद कर के ख़ूब रोता है.. अब उसे पता लगता है कि वो घोड़ा उसके जीवन मे क्या अहमियत रखता था
कुछ दिन बाद मालिक एक नया घोड़ा लाता है.. इस बार ये घोड़ा सोचता है कि अबकी बार वो इस घोड़े के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करेगा और उस से दोस्ती बनाये रखेगा.. कुछ महीने सब ठीक चलता है मगर फिर धीरे धीरे इस घोड़े को इस नए घोड़े से फिर वैसे ही परेशानी शुरू हो जाती है.. वो फिर इस नए घोड़े को उसी तरह परेशान करने लगता है जैसे वो पुराने वाले को करता था.. मगर फिर उसे अपने इस व्यवहार का एहसास होता है और वो सोचता है कि कहीं वो फिर अपने इस नए दोस्त को अपने इस व्यवहार से खो न दे.. इस बात के लिए वो परेशान होकर अस्तबल के एक सबसे समझदार ज्ञानी गधे के सामने अपनी इस समस्या का ज़िक्र करता है
ज्ञानी गधा कहता है “यही क्या कम है कि तुम्हें इस बात का एहसास हुआ कि तुमसे ग़लती हो रही है.. लोग पूरी उम्र यही करते रहते हैं मगर उन्हें कभी इसका एहसास ही नहीं होता है.. इसलिए तुम्हारा इस बात को समझना ही सुधार की दिशा में पहला क़दम है.. अब सवाल ये आता है कि क्या तुम इस बात को सच मे सुधारना चाहते हो या फिर ऐसे ही मुझ से अपनी ग़लती सुना कर अपने अहंकार को पोषित करके ख़ुश हो जाना चाहते हो?”
घोड़ा आंख में आंसू भर कर कहता है कि उसे अपनी इस ग़लती को सच मे सुधारना है
गधा कहता है “ठीक है फिर.. अगर तुम चाहते हो कि आज के बाद तुम अपने किसी भी प्यारे के साथ ये व्यवहार न करो तो एक बात का हमेशा ध्यान रखना.. और इस बात का ध्यान तुमको सोते जागते, उठते बैठते हमेशा रखना, और वो ध्यान ये है कि जिस किसी के साथ भी तुम इस समय हो उसे आज नहीं तो कल इस दुनिया से चले जाना है.. और वो तो इस दुनिया से जाएगा ही साथ साथ तुम को भी यहां से चले जाना है.. तुम्हारा तांगा, तुम्हारा मालिक, तुम्हारा दूसरा साथी घोड़ा, सब से तुम्हें आज नहीं तो कल बिछड़ना ही है.. ये जो छूटने के भाव है इसे दिन रात ऐसे याद रखो कि ये तुम्हारे अवचेतन में बस जाए.. और जिस दिन ये भाव पूरी तरह तुम्हारे भीतर बैठ गया उस दिन के बाद तुमको इस दुनिया मे किसी से कोई शिकायत नहीं रहेगी.. सब के प्रति तुम्हारे भीतर सिर्फ़ प्रेम भाव ही होगा.. ध्यान रखना कि जीवन मे जब तुम किसी से बिछड़ते हो तो उस समय तुम सबसे प्रेमपूर्ण होते हो.. इसलिए ये बिछड़ने का ध्यान बना रहे हमेशा.. ये भाव तुम्हें दूसरों के प्रति नफ़रत से बचाएगा.. और इस भाव को साध लेने के बाद किसी एक दिन तुम इस भाव को भी समझ सकोगे कि अब तुम्हें उसकी तलाश करनी है जो तुमसे कभी न बिछड़ेगा”
ज्ञानी गधे की बात सुनकर घोड़े की आंखों में आंसू आ जाते हैं.. उसे अपना बिछड़ा हुवा साथी घोड़ा याद आता है.. और वो अपने नए साथी घोड़े को देखता है जिसमे उसे अपने पुराने साथी घोड़े की झलक दिखाई देती है.. वो अस्तबल और सारी चीज़ों को एक एक कर ऐसे देखता है जैसे कल ये सब उस से बिछड़ जाएंगे.. धीरे धीरे.. समय बीतने के साथ वो घोड़ा जीवन और इसके तमाम बंधनों और नफ़रतों से मुक्त होने लगता है
(सूफ़ी कथा)
New Hindi jokes 2018
In this i bring some new jokes in hindi
Enjoy
लड़कियों के पास जब कुछ करने को नहीं होता तब वो ?
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मोहल्ले की ट्यूशन वाली मेम बन जाती हैं
???
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ऑस्ट्रेलिया एक बहुत महंगा देश है। _? हालांकि यह बहुत महंगा है, पर सार्वजनिक सेवा बहुत अच्छी है।
भारत से आस्ट्रेलिया एक परिवार छुट्टियों पर यात्रा कर रहा था। साथ मे उनके पिता भी थे।
राजमार्ग के मध्य में वे लोग कार से जा रहे थे। एक स्थानीय महिला उनके के पीछे पीछे अपनी कार चला रही थी..
उसने अचानक कार के खिड़की से बाहर आने वाले एक वृद्ध पुरूष का सिर देखा। उसने देखा कि वह रक्त की उल्टी कर रहा था..उसने अपने कैमरे में ये दृश्य कैद कर लिया तथा तत्काल एम्बुलेंस सेवा के लिए पुलिस को इत्तिला कर दी..
कुछ ही मिनटों के भीतर, हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस मौजूद हो गयी ।
पिता को तुरंत स्ट्रेचर पर लेटा दिया गया और ऑक्सीजन शुरू कर दी गयी..
परिवार को उन सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा …
और हाँ …
महत्व की बात यह थी कि वह रक्त की उल्टी नही थी..वह तो गुटका थूका था और पुत्र अभी भी इसी खोजबीन में था कि पिता गुटका भारत से कहाँ छुपा कर लाये थे … ????
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*महिलाओं के लिए एक उत्तम योगासन ??*
*सबसे पहले ,*
*एक चेयर लें और उस पर बैठ जाएँ ,*
*सिर को पीछे टिका लें ,*
*सामने एक स्टूल रखें और उस पर अपने दोनों पाँव रख लें ,*
*खूब गहरी साँस लें और बोलें…*
*” चूल्हे में जाए घर के सारे काम।। “*
????????
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दिन में इतनी बार तो मुझे “माँ”
भी नहाने के लियें नहीं बोलती…..
जितने की बैंक और टेलिकॉम
वाले आधार लिंक करने के लिए बोलते हैं.
???
दलित चिंतक उफ तक नही करता
आपको जानकर आश्चर्य होगा की पूरे भारत मे सिर्फ दो यूनिर्वसिटी ऐसी है जो भारतीय संविधान को न मानकर दलितों को आरक्षण नही देता….
ओर वो है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया इस्माइला यूनिवर्सिटी ….
फिर भी कोई दलित चिंतक उफ तक नही करता ।
Happy lohri massages or sms
??May ??
The Enthusiasm and
Good feelings of
❤️” HAPPY ENERGY “❤️
Shines through your life
To endure you to serve
SWEETNESS and
HAPPINESS
?Happy Lohri ?
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?Wow….!! ?
Let\’s Begin ☀️
Happy Journey towards Sun
❄️Let\’s Say Sayonara
To long nights of Winter
Let\’s Welcome ??
Long days of Summer
and celebrate this Lohri
with abundance of J❤️y
?Happy Lohri ?
~~~~~~~~~~~~~~~
??May ??
The Enthusiasm and
Good feelings of
❤️” HAPPY ENERGY “❤️
Shines through your life
To endure you to serve
SWEETNESS and
HAPPINESS
?Happy Lohri ?